विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध Essay on Student and Discipline in Hindi
इस लेख में आप विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध (Essay on Student and Discipline in Hindi) पढेंगे। जिसमें हमने विद्यार्थी और अनुशासन का अर्थ, प्रकार, भूमिका, महत्व और दस वाक्यों को बेहद आकर्षक और सरल रूप से लिखा है।
Table of Contents
प्रस्तावना (विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध Essay on Student and Discipline in Hindi)
विद्यार्थी जीवन में कठिन परिश्रम और अनुशासन की आवश्यकता सबसे अधिक होती है। जिस विद्यार्थी में इन गुणों की कमी होती है उसका बौद्धिक और मानसिक विकास नहीं हो पाता।
विद्या अध्ययन को बेहद कठिन और एकाग्रतासाध्य काम माना जाता है। जिसमें उच्चकोटि का ध्यान और समर्पण की आवश्यकता होती है।
बाल्यावस्था किसी भी विषय को सीखने के लिए सबसे अच्छा समय होता है। ऐसा माना जाता है कि किसी भी मनुष्य का अधिकतम मानसिक विकास पंद्रह वर्ष की उम्र तक हो जाता है।
जो विद्यार्थी मेहनत और अनुशासन को अपने जीवन का प्रमुख लक्ष्य बनाते हैं वे एक सफल विद्यार्थी बनने के साथ-साथ एक आदर्श नागरिक भी बनते हैं।
दुनिया में किसी भी कार्य की उपलब्धि के लिए सतत संघर्ष और अनुशासन का होना अत्यंत आवश्यक है। जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए इसके अलावा अन्य कोई दूसरा विकल्प नहीं है।
विद्यार्थी जीवन पूरे जीवन काल में सबसे महत्वपूर्ण समय होता है जहां अनुशासन की आवश्यकता और उपयोगिता और भी बढ़ जाती है। आसान शब्दों में विद्यार्थी जीवन को पूरे जीवन काल की आधारशिला कहा जा सकता है क्योंकि इस समय में वह जो कुछ भी सीखता है उसका प्रभाव पूरे जीवन जीवन भर दिखाई देता है।
विद्यार्थी और अनुशासन का अर्थ Definition of Student and Discipline in Hindi
अनुशासन शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है अनु+शासन। इसका अर्थ होता है कि किसी भी नियम के अधीन रहकर कार्य करना अथवा नियमों के शासन में रहना।
सरल शब्दों में कहा जाए तो अनुशासन के अंतर्गत सभी मनुष्य को अपनी स्वतंत्र भावनाओं तथा शक्तियों को किसी निर्धारित नियम के द्वारा नियंत्रित करना होता है।
दुनिया के महान तथा सफल लोगों ने इसका महत्व बताया है कि किस प्रकार अनुशासन ही उद्देश्य तथा उपलब्धि के बीच का सेतु होता है।
सामान्य जीवन में ऐसे लक्ष्यों अथवा कार्यों को प्राथमिकता देना जो आने वाले भविष्य पर प्रत्यक्ष रुप से प्रभाव डालते हैं उनका अनुसरण करना ही अनुशासन कहलाता है।
सच कहा जाए तो अनुशासन ही मानव सभ्यता के विकास का प्रथम चरण है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में इसका होना अत्यंत आवश्यक है।
विद्यार्थी जीवन में अनुशासन के प्रकार Types of Disciplines of Student life in Hindi
आमतौर पर जीवन के हर विषय में अनुशासन के विभिन्न प्रकार होते हैं। प्रत्येक कार्य को पूरा करने के लिए धैर्य तथा अनुशासन की आवश्यकता होती है।
किंतु सामान्य रूप से देखा जाए तो अनुशासन के दो प्रकार होते हैं- बाहरी अनुशासन तथा आंतरिक अनुशासन।
बाहरी अनुशासन का तात्पर्य इस बात से है, यदि किसी व्यक्ति की इच्छा के बिना उस पर जबरजस्ती किसी नियम कानून को थौंपा जाए तो वह बाहरी अनुशासन कहलाता है।
आज के समय में विद्यार्थियों को किसी भी शैक्षणिक स्थान में कड़ी नियम कानूनों द्वारा बांध दिया जाता है लेकिन उन्हें अनुशासन के वास्तविक महत्व के बारे में पूर्ण जानकारी नहीं दी जाती।
दूसरा अनुशासन वही होता है जो स्वयं अपनी इच्छा से किसी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपने जीवन को पूरी तरह से अपने कार्य के प्रति समर्पित कर देना अथवा कड़े नियमों का पालन करना ही आंतरिक अनुशासन कहलाता है।
विद्यार्थी और अनुशासन की भूमिका Role of Student and Discipline in Hindi
जीवन में ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं है जहां अनुशासन की आवश्यकता न होती हो। विद्यालयों में बच्चों के लिए कड़े नियम कानून बनाए जाते हैं, जिससे वे सही-गलत का फर्क कर सके और अच्छे अंक प्राप्त कर सके।
प्रत्येक मनुष्य अपने प्रारंभिक जीवन में एक विद्यार्थी होता है। विद्यार्थी जीवन इसीलिए इतना महत्वपूर्ण है। क्योंकि इस समय में बच्चे जो कुछ भी सीख पाते हैं उसका प्रभाव उनके चरित्र तथा भविष्य पर प्रत्यक्ष रूप से दिखता है।
विद्यार्थी जीवन में किसी भी प्रकार के कला को बहुत सरलता से सीखा जा सकता है। इसीलिए मानव जीवन के इस स्वर्णिम समय में अनुशासन का होना बहुत आवश्यक है।
अध्यापक अपने विद्यार्थियों को नियमित रूप से अनुशासन का पालन करना सिखाते हैं। शिक्षक बच्चों को अपने से बड़ों का आदर सम्मान करना, रोजाना समय पर कक्षा में हाजिर रहना अपने मित्रों के साथ झगड़ा ना करना और झूठ न बोलना आदि जैसे अच्छी बातें भी सिखाते हैं।
अनुशासन का पालन करने से विद्यार्थियों में संयम तथा सद्गुण जैसे कई गुण विकसित होते हैं। एक आदर्श विद्यार्थी अनुशासन का महत्व भली-भांति समझता है इसीलिए अपने से बड़ों की बात कभी भी नजरअंदाज नहीं करता।
एक अच्छा विद्यार्थी हमेशा अपने समय को नई चीजों को सीखने में लगाता है तथा निर्धारित समय पर अपना अभ्यास कार्य करता है। वहीं दूसरी ओर एक सामान्य विद्यार्थी पढ़ने के लिए हमेशा टालमटोल करता है तथा अनुशासन का कभी भी पालन नहीं करता।
इस बात से नकारा नहीं जा सकता कि कोई भी व्यक्ति अनुशासन के महत्व को समझे बगैर सफलता प्राप्त नहीं कर सकता। केवल कड़े अनुशासन का पालन करके ही बड़ी से बड़ी उपलब्धियां प्राप्त की जा सकतीं हैं।
विद्यार्थी और अनुशासन का महत्व Importance of Students and Discipline in Hindi
विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व उतना ही आवश्यक है, जिस प्रकार जीवित रहने के लिए भोजन आवश्यक होता है।
भारत में प्राचीन काल में बाल्यावस्था से ही बच्चों को शिक्षा के लिए गुरुकुल भेज दिया जाता था जहां उन्हें कड़े नियम कानून के अंतर्गत शिक्षा दिया जाता था। गुरुकुल में सभी विद्यार्थी पूरे अनुशासन के साथ अपनी शिक्षा पूरी करते थे।
अपने जीवन में सफल होने का केवल एक ही रास्ता होता है वह अनुशासन के साथ अपने लक्ष्य के लिए निरंतर प्रयास करना है।
किसी भी राष्ट्र की वास्तविक संपदा वहां के विद्यार्थी होते हैं। यही बच्चे पढ़ लिख कर आगे चलकर बड़े-बड़े डॉक्टर, इंजीनियर, पॉलीटिशियंस, कलाकार, पायलट इत्यादि बनते हैं।
यह कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि एक अनुशासित विद्यार्थी ही अपने लक्ष्य को प्राप्त करके अपने देश के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।
अनुशासन ही सफलता का मूल मंत्र होता है। इसीलिए इसके जरिए जीवन में कठिन से कठिन परिस्थितियों को पार कर सफल जीवन की कामना की जा सकती है।
एक विद्यार्थी की उन्नति का मुख्य द्वार अनुशासन ही होता है तथा इसी से एक सभ्य समाज के साथ-साथ एक विकसित राष्ट्र का निर्माण भी होता है।
इसका प्रयोग करके विद्यार्थी न केवल परीक्षा में अच्छे अंक ही प्राप्त कर सकते हैं बल्कि आगे चलकर समाज में एक अच्छे नागरिक भी बनते हैं।
यही कारण है कि विद्यालयों में बच्चों की अनुशासनहीनता पर उन्हें अध्यापक द्वारा दंडित किया जाता है जिससे वे गलती को दोबारा नहीं दोहराते हैं। विद्यार्थी जीवन में धैर्य और समझदारी का निर्माण इसी के कारण होता है।
विद्यार्थी और अनुशासन पर 10 लाइन Best 10 lines on Students and Discipline in Hindi
- अनुशासन ही सफलता की वास्तविक कुंजी होती है।
- आज तक जितने भी लोग महान तथा सफल हुए हैं वे लगातार संघर्ष और अनुशासन के पालन से ही हुए हैं।
- विद्यालय में विद्यार्थियों को अनुशासन के पालन करने पर मुख्य रुप से ध्यान दिया जाता है।
- अनुशासन के अंतर्गत सभी मनुष्य को अपनी स्वतंत्र भावनाओं तथा शक्तियों को किसी निर्धारित नियम के द्वारा नियंत्रित करना होता है।
- दुनिया में अधिकतर सफल लोग अपनी सफलता का कारण अनुशासन को ही ही बताते हैं।
- अनुशासन के बिना एक सफल जीवन की कामना करना मूर्खता पूर्ण होता है।
- वेदों में अनुशासन को इंसान के लिए सबसे जरुरी तपस्या बताया गया है।
- महात्मा गांधी अपने आश्रम में अनुशासन को कड़ाई से पालन करवाते थे।
- बाह्य अनुशासन के मुकाबले अंतः अनुशासन मुख्य होता है।
- विद्यार्थी और अनुशासन ये दोनों एक दुसरे के पूरक होते हैं।
निष्कर्ष Conclusion
इस लेख में आपने विद्यार्थी और अनुशासन पर हिंदी में निबंध (Essay on Student and Discipline in Hindi) पढ़ा। आशा यह लेख आपको सरल तथा आकर्षक लगा हो। अगर यह निबंध आपको पसंद आया हो तो इसे शेयर जरुर करें।
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विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध
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रूपरेखा : प्रस्तावना - अनुशासन का महत्व - विद्या-अध्ययन का काल - विद्यार्थियों में अनुशासनहीनता के कारण - कर्तव्यों की तिलांजलि देकर अधिकारों की माँग - उचित मार्गदर्शन का अभाव और अनुशासनहीनता - दूषित वातावरण का प्रभाव - उपसंहार।
माता-पिता तथा गुरुजनों की आज्ञाएँ ज्यों की त्यों स्वीकार करना ही अनुशासन कहा जाता है। अनुशासन का शाब्दिक अर्थ शासन के पीछे चलना है, अर्थात् गुरुजनों और अपने पथ-प्रदर्शकों के नियन्त्रण में रहकर नियमबद्ध जीवनयापन करना तथा उनकी आज्ञाओं का पालन करना ही अनुशासन कहा जा सकता है। अनुशासन विद्यार्थी जीवन का प्राण है। अनुशासनहीन विद्यार्थी न तो देश का सध्य नागरिक बन सकता है और न अपने व्यक्तिगत जीवन में ही सफल हो सकता है। वैसे तो जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अनुशासन परमावश्यक है, परन्तु विद्याथी-जीवन के लिये यह सफलता की एकमात्र कुंजी है।
विद्यार्थी-जीवन में अनुशासन का बड़ा महत्त्व होता है। छात्र को हर सुबह जल्दी जग जाना चाहिए। उसे अपने बड़ों का सम्मान करना चाहिए। उसे अपना अधिकांश समय अपने अध्ययन में देना चाहिए। उसे झूठ नहीं बोलना चाहिए। उसे कभी भी धोखा नहीं देना चाहिए। उसे कभी किसी के प्रति अशिष्ट नहीं होना चाहिए। उसे अच्छी संगति रखनी चाहिए। छात्र देश के भविष्य होते हैं। इसलिए उन्हें उचित रूप से अनुशासित होना चाहिए। संसार के प्रत्येक महान् व्यक्ति का जीवन अनुशासित रहा है। अनुशासन के बिना कोई व्यक्ति सफल नहीं हो सकता। अनुशासन हमें हमेशा शानदार अवसर देता है जैसे, आगे बढ़ने का सही तरीका, जीवन में नई चीजें सीखने, कम समय के भीतर अधिक अनुभव करने, आदि। जबकि, अनुशासन की कमी से बहुत भ्रम और विकार पैदा होते हैं। अनुशासनहीनता के कारण जीवन में कोई शांति और प्रगति नहीं होती है, जिस कारण मनुष्य अपने जीवन में कभी सफल नहीं हो पाता और अपने जीवन से निराश होकर गलत कदम उठाने पर विवश हो जाता हैं।
'विद्यार्थी' का अर्थ है 'विद्याया: अर्थी' अर्थात् विद्या की अभिलाबा रखने वाला। अनुशासन का अर्थ है शासन या नियंत्रण को मानना। अपनी उच्छ्खंल चेंष्टाओं को काबू में रखना। चार वर्ष से पच्चीस वर्ष तक की आयु विद्या-अध्ययन का काल मानी जाती है। इसमें इस अवस्था में विद्यार्थी पर न घर-बार का बोझ होता है, न सामाजिक दायित्व का और न आर्थिक चिन्ता का। वह स्वतन्त्र रूप से अपना शारीरिक, बौद्धिक व मानसिक विकास करता है। यह कार्य तभी सम्भव है, जन वह अनुशासन में रहे। यह शासन चाहे गुरुजनों का हो, चाहे माता-पिता का। इससे उसमें शील, संयम, ज्ञान-पिपासा तथा नग्रता की वृत्ति जागृत होगी।
विद्यार्थी में अनुशासन के विरोध की दुष्प्रवृत्ति कुछ कारणों से जन्म लेती है । एक डेढ़ वर्ष का शिशु दूरदर्शन देखने लगता है। देखने-देखते वह जैसे-जैसे बड़ा होता है, उसे दूरदर्शन को भाषा समझ में आने लगती है । पाँच वर्ष का होते-होते वह भाषा ही नहीं भावों को भी सही या गलत समझने लगता है। प्रेम और वासना के पश्चात दूसरी शिक्षा जो दूरदर्शन देता है, वह है विद्रोह और विध्वंस की । शिशु जब किशोरावस्था तक पहुँचता है तो विद्रोह के अंकुर परिवार में फूटने लगते हैं। उसे पारिवारिक अनुशासन से चिढ़ हो जाती है। रोकर घर की चीजें फेंककर, उलटकर अपना विद्रोह प्रकट करता है। टी.वी. की भाषा में माता-पिता या अग्रजों को गाली देता है। अनुशासनहीनता की प्रवृत्ति लेकर वह विद्यार्थी बनता है। दूसरी ओर, दुर्भाग्य से हमारे राजनीतिक नेताओं ने इस निश्चिन्त विद्यार्थी-वर्ग को अपनी स्वार्थसिद्धि के लिए राजनीति में घसीटकर अनुशासनहीनता का मार्ग दिखा दिया है। लगता है यह अनुशासनहीनता न केवल अध्ययन-संस्थाओं को ही, अपितु सम्पूर्ण भारत को निगल जाएगी।
आज के विद्यार्थी और अनुशासन में ३ और ६ का सम्बन्ध है। वह कर्तव्यों को तिलांजलि (त्याग) देकर केवल अधिकारों की माँग करता है और येन-केन-प्रकारेण अपनी आकांक्षाओं की तृप्ति तथा अधिकारों की प्राप्ति के लिए संघर्ष पर उतर आया है। जलसे करना, जुलूस निकालना, धुआँधार भाषण देना, चौराहों या सार्वजनिक स्थान पर नेताओं की प्रतिमाएँ तोड़ना, अकारण (बिना किसी कारण) किसी की पिटाई करना, हत्या करना, मकान व दुकान लूटना, सरकारी सम्पत्ति को क्षति पहुँचाना, बसों को जलाना, ऐसे अशोभनीय कार्य हैं जो विद्यार्थी-वर्ग के मुख्य कार्यक्रम बन गए हैं।
वस्तुत: आज का विद्यार्थी विद्या का अर्थी अर्थात् अभिलाषी नहीं, अपितु विद्या की अरथी निकालने पर तुला है। उसमें रोष, उच्छुंखलता, स्वार्थ और अनास्था घर कर गई है। पढ़ने में एकाग्रचित्तता के सथार पर विध्वंसात्मक उसके मस्तिष्क को खोखला कर रही है। रही-सही कसर फैशन-परस्ती और नशाखोरी ने पूरी कर दी।
अनुशासनहीनता के कारण विवेकहीन विद्यार्थी भस्मासुर की भाँति अपना ही सर्वस्व स्वाहा कर रहा है। मन की विनाशकारी प्रवृत्ति उसके अध्ययन में बाधक है। परिणामत: प्रश्न-पत्र ठीक तरह हल नहीं होंगे तो अंक अच्छे नहीं आएंगे। अगली कक्षाओं में प्रवेश में और जीवन की प्रगति में बाधाएँ आएँगी।
दूसरी ओर, माता-पिता के उचित संरक्षण एवं मार्ग-दर्शन के अभाव में बच्चे उत्तम संस्कार ग्रहण नहीं कर पाते । विद्यालय या महाविद्यालयों में प्रवेश करके ये मर्यादाहीन और उच्छृंखल बन जाते हैं। उनकी प्रतिभा का विकास अवरुद्ध हो जाता है, मन-मस्तिष्क पर विक्षोभ छा जाता है।
तीसरे, राजनीतिज्ञों की रट है कि 'वर्तमान शिक्षा दोषपूर्ण' है। नए-नए प्रयोगों ने विद्यार्थियों में वर्तमान शिक्षा-प्रणाली के प्रति अरुचि उत्पन कर दी है। अंगूठाटेक राजनीतिज्ञ जब विश्वविद्यालयों में भाषण करता है या अल्पज्ञ और अर्द्धशिक्षित नेता शिक्षा के बारे में परामर्श देता है तो माँ सरस्वती का सिर लज्जा से झुक जाता है।
चौथे, आज शिक्षक आस्थाहीन हैं शिक्षा-अधिकारी अहंकारी तथा स्वार्थी। परिणामस्वरूप शिक्षक और शिक्षा अधिकारी विद्यार्थी से व्यावसायिक रूप में व्यवहार करते हैं। विद्यार्थी के हृदय में इसकी जो प्रतिध्वनि निकलती है, वह 'आचार्यदेवो भव' कदापि नहीं होती।
नि:सन्देह यह बात माननी पड़ेगी कि आज के स्वार्थपूर्ण अस्वस्थ वातावरण में विद्यार्थी शान्त नहीं रह सकता। अस्वस्थ प्रवृत्ति के विरुद्ध विद्रोह उसकी जागरूकता का परिचायक है। उसका गर्म खून उसको अन्याय के विरुद्ध ललकारता है। जिस प्रकार अग्नि, जल और अणुशवक्ति का रचनात्मक तथा विध्वंसात्मक, दोनों रूपों में प्रयोग सम्भव है, उसी प्रकार विद्यार्थी के गर्म खून को रचनात्मक दिशा देने को आवश्यकता है। यह तभी सम्भव है जब प्राचीनकाल के गुरुकुलों का-सा शान्त वातावरण हो, चाणक्य जैसे स्वाभिमानी, स्वामी रामकृष्ण परमहंस तथा स्वामी विरजानन्द सदृश तपस्वी गुरु हों।
देश के विद्यार्थियों में अनुशासन स्थापित किये बिना देश का कल्याण नहीं हो सकता। आज का विद्यार्थी कल का सभ्य नागरिक नहीं हो सकता, इसके लिए हमें अपनी शिक्षा व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन करने होंगे। देश के नागरिकों का निर्माण अध्यापकों के हाथों में है। उन्हें भी अपने कर्तव्य का पालन करना होगा। स्वतंत्रता के पहले बहुत-सी समस्याएँ नहीं थीं। लेकिन अब, हमारा देश भ्रष्टाचार, घूसखोरी, घोटाला, धोखेबाजी, आतंकवाद आदि-जैसी समस्याओं का सामना कर रहा है। कुछ युवा भ्रमित हो चुके हैं। सिर्फ शिक्षित और अनुशासित विद्यार्थी ही हमारे देश को उज्ज्वल भविष्य दे सकते हैं। अंत: यह कहना गलत नहीं होगा कि अनुशासन वह सीढ़ी है जिसके माध्यम से विद्यार्थी अपने जीवन में सफलता की ऊँचाई की ओर चढ़ सकता है। यह उसे अपने लक्ष्य की ओर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है और उसे अपने लक्ष्य से भटकने नहीं देता हैं। अनुशासन ही इन समस्याओं का एकमात्र समाधान है।
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विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्त्व पर निबंध
Essay on Importance of Discipline in Students life in Hindi: हम यहां पर विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्त्व पर निबंध शेयर कर रहे है। इस निबंध में छात्र जीवन में अनुशासन का महत्व (Chatra Jeevan Mein Anushasan ka Mahatva) के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेयर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।
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विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्त्व पर निबंध | Essay on Importance of Discipline in Students life in Hindi
विद्यार्थी जीवन और अनुशासन 150 शब्दों में निबंध (vidyarthi jeevan mein anushasan ka mahatva).
अनुशासन हर व्यक्ति के लिए जरूरी होता है। विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन एक अलग ही महत्व रखता है। अनुशासन के जरिए ही विद्यार्थी अपने जीवन में सफलता हासिल करता है। अनुशासन विद्यार्थी को सही रास्ता दिखाने में मदद करता है। ऐसे तो अनुशासन हर व्यक्ति के लिए जरूरी है। लेकिन विद्यार्थियों के लिए यह अत्यधिक जरूरी इसलिए है क्योंकि विद्यार्थी के जीवन की शुरुआत स्कूल से होती है और स्कूल से ही विद्यार्थी यदि अनुशासन की पालना करता है।
तब विद्यार्थी ना सिर्फ सफलता हासिल करता है बल्कि विद्यार्थी आगे जाकर एक अच्छा और आदर्श नागरिक भी बन सकता है। विद्यार्थी यदि अनुशासन की पालना करता है तो विद्यार्थी के संस्कार की जड़े मजबूत हो जाती है जो भविष्य में और पूरे जीवन व्यक्ति को आदर्श इंसान बनाती है।
अनुशासन व्यक्ति को जीवन जीने का तरीका, बड़ों का सम्मान करना, माता-पिता का आदर करना, अध्यापकों का सम्मान करना, धैर्य रखना और परिश्रम करना सिखाता है। अनुशासन दो प्रकार के होते हैं। एक वह जो हम अपने आपसे सीखते हैं। उसे आत्म अनुशासन कहते हैं और दूसरा जो किसी अन्य को देखकर सीखते हैं उसे प्रेरित अनुशासन कहते हैं।
विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्त्व पर निबंध 250 शब्दों में (Vidyarthi Jeevan Mein Anushasan Nibandh)
अनुशासन हमारे जीवन में काफी अहमियत रखता है। यह जीवन में क्रमबद्धता को संदर्भित करता है, जो किसी के भी जीवन में सफलता के लिए आवश्यक है। हर कोई अपने जीवन में अलग-अलग रूप में अनुशासन का पालन करता है। अनुशासन हमें ईमानदार, मेहनती, धैर्यवान, महत्वाकांक्षी, स्वतंत्र और समयनिष्ठ बनाता है। अनुशासन के बिना जीवन रडार के जहाज के समान है।
हम सब जानते है की विद्यार्थी राष्ट्र के भविष्य की संपत्ति हैं। विद्यार्थी जीवन पुरे जीवन की नींव का निर्माण करते हैं इसलिए विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का काफी गहरा महत्व है। एक अनुशासित विद्यार्थी का जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण होता है। अनुशासन हमेशा विद्यार्थी के लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक मार्गदर्शक का काम करता है। एक अनुशासित छात्र अपने लक्ष्य से कभी विचलित नहीं होता और इससे विद्यार्थी अपने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त करते हैं।
अनुशासन के दो प्रकार है। पहला है प्रेरित अनुशासन और दूसरा है आत्म-अनुशासन। प्रेरित अनुशासन एक ऐसी चीज है जो दूसरे हमें सिखाते हैं या हम दूसरों को देखकर सीखते हैं। जबकि आत्म-अनुशासन भीतर से आता है और हम इसे अपने आप सीखते हैं। विद्यार्थी जीवन में अनुशासन के कई अनगिनत लाभ है। विद्यार्थी के सकारात्मक दिमाग और स्वस्थ शरीर के लिए अनुशासन जरुरी है। अनुशासन विद्यार्थी को तनाव मुक्त वातावरण प्रदान करना है।
अनुशासन विद्यार्थी को पढ़ाई के साथ-साथ जीवन के अन्य क्षेत्रों के प्रति एकाग्र और प्रेरित होना सिखाता है। एक अनुशासित विद्यार्थी अपनी शैक्षणिक संस्थान का गौरव होता है। समाज द्वारा हमेशा उनका सम्मान किया जाता है। अनुशासन के बिना हम एक सफल छात्र की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं।
विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्त्व पर निबंध 500 शब्दों में (Vidyarthi Jeevan Mein Anushasan ka Mahatva Nibandh)
हिंदी में एक कहावत है कि अनुशासन ही सफलता की कुंजी है। अनुशासन जीवन में आवश्यक व्यवहारों में से एक है। लेकिन दुनिया में कुछ ही लोग अनुशासन से जीवन जीना पसंद करते है। वैसे तो अनुशासन हर उम्र की व्यक्ति के लिए जरुरी होता है लेकिन विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व अधिक होता है। क्योंकि विद्यार्थी जीवन हमारे पूरे जीवन की नींव होती है, जिस पर हमारी जिंदगी की इमारत बनती है।
विद्यार्थी जीवन में अनुशासन की कमी से बहुत भ्रम और विकार पैदा करते है, जो उनके आने वाले भविष्य को तहसनहस कर देते है। बिना अनुशासन के पढ़ाई करना और सफलता पाना बेहद मुश्किल है। अनुशासन जीवन को क्रमबद्धता प्रदान करता है।
अगर हम विद्यार्थी जीवन में ही अनुशासन का महत्व समझ जाते है तो हमें किसी भी क्षेत्र में सफलता पाने से कोई नहीं रोक सकता। विद्यार्थी जीवन बाहरी अनुशासन के साथ साथ आत्म अनुशासन बहुत भी महत्वपूर्ण है, जो उनके सिर की इच्छाओं और जुनून को रोकने में मददगार साबित होता है।
वर्तमान समय में माता-पिता अपने व्यस्त करियर के कारण अपने बच्चों को समय नहीं दे पाते हैं, जिसके कारण बच्चे अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए टीवी, मोबाइल, इंटरनेट का सहारा लेते हैं और वो अनुशासन से जीना छोड़ देते है। देर रात तक जागना, सुबह देर से उठना, अपने मित्रों के साथ पार्टी करना आजकल फैशन बन गया है, जो आने वाले समय के लिए खतरे की घंटी है। विद्यार्थी जीवन में अगर अनुशासन का अभाव हो तो उदासी, चिड़चिड़ापन, कुसंगति जैसे लक्षण का हमारी जिंदगी में प्रवेश हो जाता है।
विद्यार्थी के लिए अनुशासन का रूप यह है कि वह नियमित रूप से अपने स्कूल जाता है, हमेशा अपने शिक्षकों का सम्मान करता है और जो उसने कहा है उस पर अमल करता है, स्कूल के सभी छात्रों के साथ अच्छा व्यवहार करता है, उनका सामाजिककरण करके उनके साथ मित्रवत व्यवहार करता है।
हमेशा अपने से बड़े लोगों का सम्मान करें, पढ़ाई के दौरान अपना ध्यान कहीं और न लगाएं, हमेशा एकाग्रता से पढ़ाई करें, अपने माता-पिता का सम्मान करें और उनके कहे अनुसार काम करें। अनुशासन की अवहेलना करने वालों की तुलना में अनुशासित बच्चा अपने करियर को अधिक आसानी से और स्वतंत्र रूप से चुन सकता है।
अनुशासन के द्वारा ही बच्चों में धैर्य, संयम, नियमितता जैसे गुण आते है, जो उनके जीवन में सफलता पाने के लिए बेहद जरुरी है। अनुशासन बच्चों के दिमाग पर बहुत प्रभाव डालता है। किसी भी व्यक्ति के बहेतर चरित्र का निर्माण केवल अनुशासन से ही हो सकता है। इसलिए विद्यार्थी को अनुशासन का महत्व समझना बेहद जरुरी है।
अनुशासन एक राष्ट्र के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और समाज में शारीरिक और नैतिक कानूनों के प्रति सम्मान प्रदर्शित केवल अनुशासन के द्वारा ही हो सकता है। हम सभी जानते हैं कि विद्यार्थी राष्ट्र की भविष्य की संपत्ति हैं। राष्ट्र के एक सुनहरे भविष्य के लिए अगर हम विद्यार्थी जीवन में ही अनुशासन की नींव डाल देते है तो बच्चे आगे जाकर देश के विकास में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देते है और देश को प्रगति के पथ पर ले जाते है।
विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्त्व पर निबंध (800 शब्द)
जीवन जीवन का सबसे महत्वपूर्ण समय होता है। विद्यार्थी जीवन ही व्यक्ति के संपूर्ण जीवन का आधार होता है। किसी व्यक्ति का भविष्य जीवन की इस अवधि पर निर्भर करता है। यदि यह आधारशिला कमजोर हो तो भविष्य कठिनाइयों से भरा होगा और असफलता का सामना भी करना पड़ सकता है। इन सबके लिए अनुशासन एक बहुत जरूरी चीज है।
अनुशासन ही विद्यार्थी जीवन की सफलता की कुंजी है। सिर्फ अनुशासन ही विद्यार्थी को जीवन में एकाग्र, स्वतंत्र, समयनिष्ठ और महत्वाकांक्षी बनाता है। दूसरों का सम्मान करना और आज्ञाकारी रहना अनुशासन का सिद्धांत है। अनुशासन विद्यार्थी को तनाव मुक्त जीवन देता है और साथ साथ आत्मविश्वास को बढ़ाता है।
अनुशासन का महत्व
अनुशासन वह प्रकृति है जो प्रकृति द्वारा बनाई गई हर चीज में मौजूद है। हमारा ब्रह्मांड भी अनुशासन को अनुसरण करता है। तारे, ग्रह, चंद्रमा और सूर्य अपनी निश्चित धरी और गति पर ही घूमते है। यदि ब्रह्मांड की वस्तुएं कुछ नियमों के अनुसार काम करना बंद कर देती हैं तो चारों ओर अराजकता और अव्यवस्था फैल जाएगी।
अनुशासन हमारे जीवन को नियंत्रित करता है। यह हमारे जीवन को जीने लायक बनाता है। विद्यार्थियों को बचपन से ही अनुशासन में रहना सिखाया जाना चाहिए ताकि उनमें अच्छे गुणों का विकास हो सके और भविष्य में किसी भी प्रकार की कठिनाई में वे स्वयं को सफल व्यक्ति के रूप में पहचान सकें। सिर्फ अनुशासन लक्ष्य और सफलता के बीच एक पुल की तरह काम करता है।
अनुशासन के प्रकार
वैसे तो पुरे जीवन में अनुशासन के कई रूप होते है लेकिन विद्यार्थी जीवन में अनुशासन के दो प्रकार है। पहला है प्रेरित अनुशासन, जिस में विद्यार्थी दूसरों को देखकर सीखते हैं या किसी महान विभूति के जीवन से प्रेरणा लेकर सीखते है। दूसरा है आत्म-अनुशासन, जो हमारे भीतर से आता है और हम इसे अपने आप सीखते हैं। आत्म-अनुशासन सही और गलत के बीच अंतर करने में मदद करता है। व्यक्ति सही निर्णय लेता है और सकारात्मकता फैलाता है।
अनुशासन के लाभ
अनुशासन ही विद्यार्थी को श्रेष्ठता प्रदान करता है। उसे संस्थान और समाज में उत्तम स्थान दिलाने में सहायता करता है। अनुशासन विद्यार्थी को धैर्यवान और संयमित बनाता है। यह विद्यार्थी को शांत रहने में मदद करता है। अनुशासन की वजह से विद्यार्थी अपने निश्चित लक्ष्य को आसानी से हांसिल कर पाते है। अपने दैनिक जीवन में क्रमबद्धता सिर्फ अनुशासन से ही आती है ।
विद्यार्थी को अनुशासन से सकारात्मक दृष्टिकोण प्राप्त होता है। इन में समझदारी का विकास होता है। समय पर सही निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है। अनुशासन जीवन में ईमानदारी और नैतिकता जैसे गुणों का विकास करता है। अनुशासन के कारन विद्यार्थी कभी बुरी संगत में नहीं पड़ता। अनुशासन से विद्यार्थी में नेतृत्व के गुण विकसित कर सकते हैं। अनुशासन आपको जिम्मेदार होना सिखाता है।
विद्यार्थी के लिए किताबी शिक्षा के साथ साथ शारीरिक शिक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। शारीरिक शिक्षा केवल अनुशासन से ही मिलती है। अनुशासन आत्म-नियंत्रण और समर्पण जैसी भावना का विकास होता है। जो खुद को नियंत्रित नहीं कर सकता वह दूसरों को नियंत्रित कभी नहीं कर सकता। यह आपके सहनशीलता के स्तर को भी बढ़ाता है।
अनुशासनहीनता के नुकसान
अनुशासन के अभाव में विद्यार्थी एकाग्रता का अध्ययन नहीं कर पाता है। अनुशासन की कमी के कारण विद्यार्थी चिड़चिड़े हो जाते हैं। विद्यार्थी को छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आने लगता है। अनुशासन के बिना विद्यार्थी में धैर्य और आत्म-संयम की कमी हो जाती है और वह हर कार्य को शीघ्रता से करना चाहता है।
वह अपने से बड़े लोगों का सम्मान नहीं करता है। विद्यार्थी बड़े सपने देखता है लेकिन अनुशासन की कमी के कारण उनमें सफल नहीं हो पाता। वह उस कार्य को कभी पूरा नहीं कर पाता। अनुशासन की कमी के कारण विद्यार्थी काम की चोरी करना शुरू कर देता है। वह उसे दिया गया काम कभी नहीं करता है और बहाने बनाने लगता है।
अनुशासन की कमी के कारण उनकी शिक्षा पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। अनुशासन की कमी के कारण विद्यार्थी परीक्षा में सफल नहीं हो पाता और निराश हो जाता है, जिसका परिणाम बहुत ही खराब होता है। उसका भविष्य खतरे में पड़ जाता है।
विद्यार्थी एक कोरे कागज की तरह होता है, जिसमें कुछ भी लिखा जा सकता है। यदि छात्र को उचित समय पर सही शिक्षा नहीं मिलती है तो वह अपने लक्ष्य से भटक सकता है और गलत रास्ते पर जा सकता है, इसलिए विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व ओर भी बढ़ जाता है। अनुशासन के बिना विद्यार्थी जीवन की कल्पना करना मूर्खतापूर्ण है।
विद्यार्थी हमारे देश की भावी पीढ़ी हैं, जो आगे बढ़कर हमारे देश का निर्माण करेंगे। अगर विद्यार्थी अनुशासन में रहना नहीं जानते हैं तो वे देश को तबाही की दिशा में ले जायेंगे। विद्यार्थी को अपने विद्यार्थी जीवन में काफी अनुशासित रहना चाहिए। जो अनुशासित होता है वह जीवन में ऊँचा उठता है। महापुरुषों का जीवन अनुशासन का उदाहरण है।
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Comments (5)
Sir Very Nice Essay
Inspirative essay 👍👍
Good nibandh sir
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Very nice nibandh
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अनुशासन पर निबंध (Discipline Essay in Hindi)
हर एक के जीवन में अनुशासन सबसे महत्पूर्ण चीज है। बिना अनुशासन के कोई भी एक खुशहाल जीवन नहीं जी सकता है। कुछ नियमों और कायदों के साथ ये जीवन जीने का एक तरीका है। अनुशासन सब कुछ है जो हम सही समय पर सही तरीके से करते हैं। ये हमें सही राह पर ले जाता है। हम अपने रोजमर्रा के जीवन में कई प्रकार के नियमों और कायदों के द्वारा अनुशासन पर चलते हैं।
अनुशासन पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Discipline in Hindi, Anushasan par Nibandh Hindi mein)
निबंध 1 (250 शब्द) – अनुशासन.
अनुशासित व्यक्ति आज्ञाकारी होता है और उसके पास उचित सत्ता के आज्ञा पालन के लिये स्व-शासित व्यवहार होता है। अनुशासन पूरे जीवन में बहुत महत्व रखता है और जीवन के हर कार्यों में इसकी जरुरत होती है। यह सभी के लिये आवश्यक है जो किसी भी प्रोजेक्ट पर गंभीरता से कार्य करने के लिये जरुरी है। अगर हम अपने वरिष्ठों की आज्ञा और नियमों को नहीं मानेंगे तो अवश्य हमें परेशानियों का सामना करना पड़ेगा और असफल भी हो सकते हैं।
अनुशासन का पालन
हमें हमेशा अनुशासन में होना चाहिये और अपने जीवन में सफल होने के लिये अपने शिक्षक और माता-पिता के आदेशों का पालन करना चाहिये। हमें सुबह जल्दी उठना चाहिये, निययमित दिनचर्या के तहत साफ पानी पीकर शौचालय जाना चाहिये, दाँतों को साफ करने के बाद नहाना चाहिये और इसके बाद नाश्ता करना चाहिये। बिना खाना लिये हमें स्कूल नहीं जाना चाहिये। हमें सही समय पर स्वच्छता और सफाई से अपना गृह-कार्य करना चाहिये।
हमें कभी भी अपने माता-पिता की बातों का निरादर, नकारना या उन्हें दुखी नहीं करना चाहिये। हमें अपने स्कूल में पूरे यूनिफार्म में और सही समय पर जाना चाहिये। कक्षा में स्कूल के नियमों के अनुसार हमें प्रार्थना करना चाहिये। हमें अपने शिक्षकों की आज्ञा का पालन करना चाहिये, साफ लिखावट से अपना कार्य करना चाहिये तथा सही समय पर दिये गये पाठ को अच्छे से याद करना चाहिये। हमें शिक्षक, प्रधानाध्यापक, चौकीदार, खाना बनाने वाले या विद्यार्थियों से बुरा बर्ताव नहीं करना चाहिये।
हमें सभी के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिये, चाहे वो घर, स्कूल, कार्यालय या कोई दूसरी जगह हो। बिना अनुशासन के कोई भी अपने जीवन में कोई भी बड़ी उपलब्धि प्राप्त नहीं कर सकता। इसलिये अपने जीवन में सफल इंसान बनने के लिये हमें अपने शिक्षक और माता-पिता की बात माननी चाहिये।
निबंध 2 (300 शब्द) – अनुशासन: सफलता की चाबी
अनुशासन एक क्रिया है जो अपने शरीर, दिमाग और आत्मा को नियंत्रित करता है और परिवार के बड़ों, शिक्षकों और माता-पिता की आज्ञा को मानने के द्वारा सभी कार्य को सही तरीके से करने में मदद करता है। ये एक ऐसी क्रिया है जो अनुशासन में रह कर हर नियम-कानून को मानने के लिये हमारे दिमाग को तैयार करती है। हम अपने दैनिक जीवन में सभी प्राकृतिक संसाधनों में वास्तविक अनुशासन के उदाहरण को देख सकते हैं।
अनुशासन- सफलता की चाबी
सूरज और चाँद का सही समय पर उगना और अस्त होना, सुबह और शाम का अपने सही समय पर आना और जाना, नदियाँ हमेशा बहती है, अभिभावक हमेशा प्यार करते हैं, शिक्षक हमेशा शिक्षा देते है और भी बहुत कुछ। तो फिर क्यों हम अपने जीवन में पीछे हैं, बिना परेशानियों का सामना किये आगे बढ़ने के लिये हमें भी अपने जीवन में सभी जरुरी अनुशासन का पालन करना चाहिये।
हमें अपने शिक्षक, अभिभावक और बड़ों की बातों को मानना चाहिये। हमें उनके अनुभवों के बारे में उनसे सुनना चाहिये और उनकी सफलता और असफलता से सीखना चाहिये। जब भी हम किसी चीज को गहराई से देखना और समझना शुरु करते हैं, तो ये हमें जीवन में महत्वपूर्ण सीख देता है। मौसम अपने सही समय पर आता और जाता है, आकाश बारिश करता है और रुकता है आदि सभी सही समय होती हैं जो हमारे जीवन को संतुलित बनाती है।
इसलिये, इस धरती पर जीवन चक्र को कायम रखने के लिये हमें भी अनुशासन में रहने की जरुरत है। हमारे पास अपने शिक्षक, अभिभावक, पर्यावरण, परिवार, वातावरण और जीवन आदि के प्रति बहुत सारी जिम्मेदारियां हैं। मानव होने के नाते हमारे पास सोचने-समझने का, सही-गलत के बारे में फैसला करने के लिये और अपनी योजना को कार्य में बदलने के लिये अच्छा दिमाग है। इसलिये, अपने जीवन में अनुशासन के महत्व और जरुरत को जानने के लिये हम अत्यधिक जिम्मेदार हैं।
अनुशासनहीनता की वजह से जीवन में ढेर सारी दुविधा हो जाती है और व्यक्ति को गैर-जिम्मेदार और आलसी बना देता है। ये हमारे विश्वास के स्तर को कम करती है और आसान कार्यों में भी व्यक्ति को दुविधाग्रस्त रखती है। जबकि अनुशासन में होने से ये हमें जीवन के सबसे अधिक ऊंचाईयों की सीढ़ी पर ले जाती है।
निबंध 3 (400 शब्द) – स्व-अनुशासन की जरुरत
अनुशासन कुछ ऐसा है जो सभी को अच्छे से नियंत्रित किये रखता है। ये व्यक्ति को आगे बढ़ने के लिये प्रेरित करता है और सफल बनाता है। हम में से हर एक ने अपने जीवन में समझदारी और जरुरत के अनुसार अनुशासन का अलग-अलग अनुभव किया है। जीवन में सही रास्ते पर चलने के लिये हर एक व्यक्ति में अनुशासन की बहुत जरुरत पड़ती है।
स्व-अनुशासन की जरुरत
अनुशासन के बिना जीवन बिल्कुल निष्क्रिय और निर्थक हो जाता है क्योंकि कुछ भी योजना अनुसार नहीं होता है। अगर हमें किसी भी प्रोजेक्ट को पूरा करने के बारे में अपनी योजना को लागू करना है तो सबसे पहले हमें अनुशासन में होना पड़ेगा। अनुशासन दो प्रकार का होता है एक वो जो हमें बाहरी समाज से मिलता है और दूसरा वो जो हमारे अंदर खुद से उत्पन्न होता है। हालाँकि कई बार, हमें किसी प्रभावशाली व्यक्ति से अपने स्व-अनुशासन आदतों में सुधार करने के लिये प्रेरणा की जरुरत होती है।
हमारे जीवन के कई पड़ावों पर बहुत से रास्तों पर हमें अनुशासन की जरुरत पड़ती है इसलिये बचपन से ही अनुशासन का अभ्यास करना अच्छा होता है। स्व-अनुशासन का सभी व्यक्तियों के लिये अलग-अलग अर्थ होता है जैसे विद्यार्थियों के लिये इसका मतलब है सही समय पर एकाग्रता के साथ पढ़ना और दिये गये कार्य को पूरा करना। हालाँकि काम करने वाले इंसान के लिये सुबह जल्दी उठना, व्यायाम करना, समय पर कार्यालय जाना और ऑफिस के कार्य को ठीक ढंग से करना। हर एक में स्व-अनुशासन की बहुत जरुरत है क्योंकि आज के आधुनिक समय में किसी को भी दूसरों को अनुशासन के लिये प्रेरित करने का समय नहीं है। बिना अनुशासन के कोई भी अपने जीवन में असफल हो सकता है, अनुशासन के बिना कोई भी इंसान कभी भी अपने अकादमिक जीवन या दूसरे कार्यों की खुशी नहीं मना सकता।
स्व-अनुशासन की जरुरत हर क्षेत्र में होती है जैसे संतुलित भोजन करना (मोटापे और बेकार खाने को नियंत्रित करना), नियमित व्यायाम (इसके लिये एकाग्रता की जरुरत है) आदि। गड़बड़ और अनियंत्रित खाने-पीने से किसी को भी स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएँ हो सकती हैं इसलिये स्वस्थ रहने के लिये अनुशासन की जरुरत है। अभिवावक को स्व-अनुशासन को विकसित करने की जरुरत है क्योंकि उसी से वो अपने बच्चों को एक अच्छा अनुशासन सिखा सकते हैं। उन्हें हर समय अपने बच्चों को प्रेरित करते रहने की जुरुरत पड़ती है जिससे वो दूसरों से अच्छा व्यवहार करें और हर कार्य को सही समय पर करें। कुछ शैतान बच्चे अपने माता-पिता के अनुशासन को नहीं मानते हैं, ऐसे वक्त में अभिभावकों को हिम्मत और धैर्य के साथ अपने बदमाश बच्चों को सिखाना चाहिये।
प्रकृति के अनुसार अनुशासन को ग्रहण करने की सभी व्यक्ति का अलग समय और क्षमता होती है । इसलिये, कभी हार मत मानो और लगातार प्रयास करते रहो अनुशासन में होने को, छोटे-छोटे कदमों से ही बड़ी मंजिलें हासिल की जा सकती हैं।
निबंध 4 (600 शब्द) – जीवन में अनुशासन का महत्व
अनुशासन हमारे जीवन का एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके बिना हमारा जीवन सुचारु रुप से नहीं चल सकता, खासतौर से आज के आधुनिक समय में अनुशासन बहुत ही आवश्यक है क्योंकि इस व्यस्तता भरे समय में यदि हम अनुशासन भरे दिनचर्या का पालन ना करें तो हमारा जीवन अस्त-व्यस्त हो जायेगा।
जीवन में अनुशासन का महत्व
अनुशासन कार्यों को क्रमबद्ध तथा संयमित तरीको से करने की एक विधि होती है, यदि हम नियमित रुप से अनुशासित दिनचर्या का पालन करें तो हम अपने जीवन स्तर को काफी अच्छा बना सकते हैं। यह हमें हमारे कार्यों को और भी अच्छी तरह से करने में हमारी सहायता करता है। शोधों में देखा गया है कि जो लोग अपने जीवन को अनुशासित तरीके से जीते हैं। वह अस्त-व्यस्त दिनचर्या का पालन करने वालों की अपेक्षा अपने समय तथा उर्जा का अधिक अच्छीतरह उपयोग कर पाते हैं। इसके साथ ही अनुशासन हमारे स्वास्थ्य और सामाजिक स्तर को सुधारने में भी हमारी सहायता करता है।
यही कारण है कि जीवन में अनुशासन का पालन करने वालों को अनुशासनहीनव्यक्तियोंकी अपेक्षा अधिक मान-सम्मान और सफलता प्राप्त होती है। वास्तव में अनुशासन का अर्थ, यह नहीं है कि हम दूसरों के बताये कार्यों का पालन करके अपने जीवन में अनुशासन लाने का प्रयास करें, इसके बजाय हमें अपने जीवन में स्वअनुशासन का पालन करना चाहिए क्योंकि स्वंय द्वारा पालित अनुशासन ही सर्वोत्तम होताहै, हर एक व्यक्ति का लक्ष्य तथा कार्यप्रणाली दूसरे से भिन्न होती है, इसलिए दूसरों द्वारा बताये गये अनुशासन के तरीकों को हमें अपने प्राथमिकता के आधार पर अपनाना चाहिए।
अनुशासित रहने के तरीके
हम अपने जीवन में अनुशासन को अपनाने के लिए निम्नलिखित तरीकों का पालन कर सकते हैं।
1.एक संतुलित और नियमित दिनचर्या का पालन करना।
2.कार्यों को समय पर पूरा करने का हरसंभव प्रयास करना।
3.व्यर्थ के कार्यों से दूर रहना।
4.बुरी आदतों और कार्यों से दूरी बनाना।
5.अपने कार्यों के प्रति पूरी लगन रखना।
अनुशासन का लाभ और आवश्यकता
जीवन में अनुशासन को अपनाने से कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। अनुशासित रहने वाले व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में मान-सम्मान और सफलता प्राप्त करते हैं। सेना और रक्षा तथा अनुसंधान संगठनों में तो जीवन तथा कार्यों में अनुशासन को सर्वोपरिमाना गया है, क्योंकि इन क्षेत्रों में एक सेकेंड या मिनट भर की देरी या फिर एक छोटी सी चूक के कारण काफी बड़े नकरात्मक प्रभाव देखने को मिल सकते हैं। यही कारण है कि इन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अनुशासन को इतना महत्व दिया जाता है और अधिकतम कार्यों में इसका पूर्ण रुप से पालन किया जाता है।
इसके साथ ही विद्यार्थियों के लिये तो अनुशासन सफलता का सबसे महत्वपूर्ण अंग है,यदि कोई छात्र अनुशासित दिनचर्या का पालन करते हुए अपना अध्ययन करता है, तो उसे सफलता अवश्य प्राप्त होती है। यही कारण है कि छात्र जीवन में अनुशासन को सफलता का आधार माना गया है।
ना सिर्फ विद्यार्थी जीवन में बल्कि कैरियर और घरेलू जीवन में भी अनुशासन का काफी महत्व है, जो लोग अपने जीवन में अनुशासन को अपना लेते हैं, वह कई तरह के परेशानियों से बच जाते हैं। इसके साथ ही जो व्यक्ति अनुशासन के साथ जीवन जीते हैं, उन्हें अनुशासनहीन व्यक्तियों कि अपेक्षा जीवन में कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं। एक ओर जहाँ छात्रों के लिये यह उनके भविष्य को सुनहरा बनाने का कार्य करता है, वही दूसरी ओर नौकरीपेशा लोगों के लिये यह तरक्की के मार्ग भी खोलता है।
हम कह सकते हैं कि अनुशासन जीवन में सफलता की कुंजी है और जो व्यक्ति इसे अपने जीवन में अपनाता है, वह अपने जीवन में सफलता अवश्य प्राप्त करता है। यही कारण है कि आज के इस आधुनिक युग में भी अनुशासन को इतना महत्व दिया जाता है।
FAQs: Frequently Asked Questions on Discipline (अनुशासन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
उत्तर- जापान
उत्तर- जापान के स्कूलों का
उत्तर- अनुशासन का मुख्य अर्थ नियमो एवं सीमाओं के अंदर रहकर अपने कार्य को अंजाम देना।
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In this article, we are providing Essay on Discipline in Hindi / Anushasan Ka Mahatva in Hindi अनुशासन पर निबंध हिंदी में, अनुशासन का महत्व, अनुशासन का अर्थ। Discipline essay in 150, 200, 300, 500, 1000 words For Class 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10,11,12 Students.
अनुशासन का महत्व पर निबंध- Essay on Discipline in Hindi
अनुशासन पर निबंध | Discipline Essay in Hindi in 150 words
अनुशासन का अर्थ है-नियमों के अनुसार जीवन-यापन। अनुशासन मानव की प्रगति का मूलमंत्र है। अनुशासन से मनुष्य की सारी शक्तियाँ केंद्रित हो जाती हैं। उससे समय बचता है। बिना अनुशासन के बहुत सारा समय इधर-उधर के सोच-विचार में नष्ट हो जाता है। यदि सूर्य और चंद्रमा को भी अनुशासन ने न बाँध रखा होता, तो शायद ये भी किसी दिन अँगड़ाई लेने ठहर जाते। तब इस सृष्टि का न जाने क्या होता! मनुष्य को प्रकृति ने छूट दी है। वह चाहे तो अनुशासन अपना कर अपना जीवन सफल कर ले; अन्यथा पश्चात्ताप कर ले । संसार के सभी सफल व्यक्ति अनुशासन की राह से गुजरे हैं। गाँधी जी समय और दिनचर्या के अनुशासन का कठोरता से पालन करते थे। अंग्रेजों की थोड़ी-सी सेना पूरे भारत पर इसलिए शासन कर सकी, क्योंकि उसमें अद्भुत अनुशासन था। इसके विपरीत भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम केवल इसीलिए विफल हो गया, क्योंकि उनमें आपसी तालमेल और अनुशासन नहीं था।
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अनुशासन पर निबंध हिंदी में | Anushasan Ka Mahatva par Nibandh 300 words
अनुशासन का अर्थ- अनुशासन दो शब्दों के मिश्रण से बना है अनु+शासन.अनुशासन का अर्थ है नियमो का पालन करना। अनुशासन को अगर दूसरे सब्दो में कहे तो अपने विकास के लिए कुछ नियम निर्धारित करना और उस नियम का रोजाना पालन करना चाहे वो नियम आपको पसंद हो या ना हो इसी को अनुशासन कहते है। अगर आप अपने जीवन को नियम के साथ नही जीते तो आपका जीवन व्यर्थ है। जिस प्रकार खाना बिना नमक इसी प्रकार अनुशासन बिना जीवन व्यर्थ हो जाता है इसलिए हमें अपने जीवन को नियम के साथ जीना चाहिए।
अनुशासन को सीखने का सबसे बड़ा उदाहरण प्रकृति है जिस प्रकार से सूरज अपने नियमित समय पर उगता है और अपने नियमति समय पर ढल जाता है,नदियाँ हमेशा बहती है,गर्मी और ठंड के मौसम अपने नियमित समय पर आते जाते रहते है। ये सारे काम अपने नियमित रूप से चालू रहते है अगर प्रकृति ये सारे काम को नियमित रूप से ना करे तो मानव जाति का पतन हो जाएगा ठीक इसी तरह हम भी अपने काम को नियमित रूप से ना करे और अपने आप को अनुशासन में ना रखे तो हमारे जीवन का भी पतन हो जाएगा इसलिए हमें अपने आपको को अनुशासित करना चाहिए।
इस पृथ्वी पर जितने भी माह पुरुष हुए है उन सब में एक बात समान है की वह जानते है कि उन्हें कौन सा काम सबसे पहले करना है और वह अपने प्रति बहुत ईमानदार है ऐशे ही हमको भी पता रहना चाहिए कि कौन सा काम हमे सबसे पहले करना है। अगर हम अपना जीवन नियम के साथ जिये तो हमारा जीवन सुख और शांति से भर जायगा।
अनुशासन पर निबंध | Essay on Discipline in Hindi in 500 words
अनुशासन दो शब्दों से मिलकर बना है अनु और शासन। अनु का अर्थ है पालन और शासन का मतलब नियम। हमारे जीवन में अनुशासन का बहुत महत्व है यह हमें नियमों का पालन करना सिखाता है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है जो कि समाज में रहता है और उसमें रहने के लिए अनुशासन की आवश्यकता होती है।अनुशासन हमारी सफलता की सीढ़ी होती है जिसके सहारे हम कोई भी मंजिल हासिल कर सकते है। जिस व्यक्ति के जीवन में अनुशासन नहीं उस व्यक्ति का जीवन कभी खुशहाल नहीं होता। प्रकृति भी सभी कार्य अनुशासन में ही करती है सूर्य समय पर उदय होता है और समय पर ही अस्त होता है। अगर इन सब में से कुछ भी इधर उधर हुआ तो पूरा जीवन ही अस्त वयस्त हो जाएगा।
अनुशासन का विद्यार्थि जीवन में बहुत ही ज्यादा महत्तव है क्योंकि यह जीवन का वह पड़ाव होता है जहाँ हम जो कुछ सीखते है वह हमारे साथ हमेशा रहता है। अनुशासन के अंदर बड़ो का आदर, छोटों से प्यार, समय का पक्का, नियमों का पालन और अध्यापकों का अनुसरण आदि आता है। अनुशासन प्रिय लोग सभी को बहुत पसंद आते है। अनुशासन व्यक्ति को चरित्रवान और कौशल बनने में मदद करता है। सैनिक जीवन में अनुशासन देखने को मिलता है जिसकी वजह से वो कठिन परिस्थितियों में जी पाते है। खेलों में अनुशासन बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। अनुशासन प्रिय खिलाड़ी ही खेल को जीत सकता है। अनुशासन एक व्यक्ति से लेकर समाज तक सभी के लिए आवश्यक विद्यार्थियों में हर काम समय पर करने की आदत होती है वह अपना आज का काम कल पर नहीं टालते। वह दी हुई समय गति में ही कार्य पूरा करने की कोशिश करते है जो कि किसी भी नौकरी पेशे के लिए चुने जाते है।
अनुशासन कई लोगों में जन्म से ही मौजुद होते है और कुछों को उत्पन्न करना पड़ता है। अनुशासन दो प्रकार का होता है- पहला जो किसी में जोर जबरदस्ती से लाया जाता है और लोगों पर धक्के से थोपा जाता है इसे बाहरी अनुशासन कहते है। दूसरा वह होता है जो लोगो में पहले से ही विद्यमान होता है और इसे आंतरिक अनुशासन कहते है।
जब कोई व्यक्ति हर काम समय से करेगा, व्यवस्थित तरीके से करेगा तो सफलता अवश्य ही उसके कदम चुमेगी और वह अपना लक्षय को प्राप्त कर लेगा। इंसानों के साथ साथ पशु भी अनुशासन में रहना पसंद करते है। हर क्षेत्र में अनुशासित लोंगो को ही प्राथमिकता दी जाती है। जिस व्यक्ति को समय की कदर नही दुनिया भी उसकी कदर नहीं करती। अनुशासन हीन व्यक्ति हमेशा जीवन में पिछड़ा हुआ रह जाता है वह कभी लक्षय को प्राप्त नहीं कर पाता। आजकल विद्यार्थि बहुत ही अनुशासन हीन होते जा रहे है वह समय का महत्व को भूलते जा रहे है और बड़ो का आदर करना भी।अनुशासन हीनता को उच्च शिक्षा से नियंत्रित किया जा सकता है। अनुशासन हमें लक्षय प्राप्ति और राष्ट्र के विकास में सहायक होता है। हम सब को अपने जीवन में अनुशासन को अपनाना चाहिए।
#Discipline Essay in Hindi
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इस लेख के माध्यम से हमने Anushasan Par Nibandh | Hindi Essay on Discipline का वर्णन किया है और आप यह निबंध नीचे दिए गए विषयों पर भी इस्तेमाल कर सकते है।
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18 thoughts on “अनुशासन का महत्व पर निबंध- Essay on Discipline in Hindi”
थैंक्स सर, बहुत ही बढ़िया निबंध सर
Very good essay sir
it is a very good essay
Thank You..
You help me in my holiday homework
Thanks for this essay and for helping me
It was a very good essay
A very good essay for the project
This essay is very helpful for me, thanks dear
Bhote easy essay hai
Thanks sir for such a nice essay .
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विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध | Essay on Student and Discipline in Hindi
अनुशासन विद्यार्थी के जीवन में महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह उनके शिक्षा में नियमितता, संयम और स्वयं-नियंत्रण की कला को विकसित करता है। अनुशासन के माध्यम से विद्यार्थी अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में समर्थ होते हैं और समय प्रबंधन की कला सीखते हैं। इस पोस्ट के जरिए हम आपके समक्ष विद्यार्थी और अनुशासन ( Student and Discipline) विषय पर निबंध प्रस्तुत कर रहे हैं। जो कि प्रत्येक कक्षा Class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11th और 12th तक के छात्र के लिए लिखा गया है। विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध 300, 500, 600, और 1000 शब्दों में है।
Table of Contents (विषय सूची)
विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध (200, 300, 500, 600, 800 और 1000 शब्दों में) essay on student and discipline (short and long essay in hindi), विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध (200 शब्दों में).
प्रस्तावना : अनुशासन प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में आवश्यक होता है। विद्यार्थी के जीवन में भी अनुशासन का महत्वपूर्ण स्थान है। अनुशासन से ही विद्यार्थी अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सफल हो सकता है। अनुशासन विद्यार्थी को सही मार्ग पर चलने में मदद करता है, और नियमों का पालन करने की कला सिखाता है।
अनुशासन और विद्यार्थी: अनुशासन एक महत्वपूर्ण गुण है, जो विद्यार्थी को उनके शिक्षा संस्थानों में सही दिशा में ले जाता है। यह उन्हें समय प्रबंधन, स्वतंत्रता में सीमा और समर्पण सिखाता है। विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन से ही उनकी पढ़ाई में प्रगति होती है और वे अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सफल होते हैं।
अनुशासन का महत्व विद्यार्थी के लिए: विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन का महत्व अत्यधिक है। यह उन्हें अपने स्टडी रूटीन को अनुसरण करने, प्रतिदिन की पढ़ाई में लगाव और संयमित रहने में मदद करता है। विद्यार्थी को समय प्रबंधन की कला सीखने में भी अनुशासन का महत्वपूर्ण योगदान होता है।
उपसंहार : अनुशासन विद्यार्थी के जीवन में एक महत्वपूर्ण गुण है जो उन्हें सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँचने में मदद करता है। अनुशासन की पालना से विद्यार्थी अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल हो सकता है और एक अच्छे नागरिक के रूप में समाज के लिए सहयोगी साबित हो सकता है।
विद्यार्थी और अनुशासन(Vidyarthi Aur Anushasan)- 300 शब्दों में
प्रस्तावना : अनुशासन प्रत्येक व्यक्ति के जीवन के लिए आवश्यक होता है। विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन का एक महत्वपूर्ण उल्लेख मिलता है। विद्यार्थी के लिए अनुशासन का विशेष महत्व है।अनुशासन के जरिए ही विद्यार्थी अपने जीवन में सफलता हासिल कर सकता है। अनुशासन विद्यार्थी को सही मार्ग दिखाने में सहायता करता है। अनुशासन में अनु का अर्थ होता है पालन और शासन का अर्थ होता है नियम। संपूर्ण अर्थों में अनुशासन का अर्थ होता है नियमों का पालन करना। दूसरे अर्थ में हम कह सकते हैं कि जो व्यक्ति अपने जीवन में नियमों का पालन करके अपना जीवन बिताता है उसे अनुशासन कहा जाता है।
अनुशासन व विद्यार्थी : अनुशासन एक ऐसी कला है जो व्यक्ति को जीवन जीने का तरीका बताती है। बड़ों का सम्मान करना, माता-पिता का आदर करना, अध्यापकों का सम्मान करना, धैर्य रखना और लगातार परिश्रम करना यह सब अनुशासन की नीतियों के अंतर्गत आता है।हम कह सकते हैं कि अनुशासन भी दो प्रकार का होता है। एक वह जो हम अपने आपसे सीखते हैं उसे आत्मानुशासन कहते हैं। दूसरा वह जो किसी अन्य को देखकर सीखा जाता है उसे प्रेरित अनुशासन कहा जाता है।
विद्यार्थी के लिए अनुशासन का महत्व: विद्यार्थियों के लिए अनुशासन अत्यधिक जरूरी है। क्योंकि विद्यार्थी के जीवन की शुरुआत स्कूल से होती है और स्कूल से ही विद्यार्थी अनुशासन का पालन करता है तो वह अपने जीवन में सदा सफलता की ऊंचाइयों को छूता है। एक अनुशासित विद्यार्थी ही अच्छा और आदर्श नागरिक भी बन सकता है। विद्यार्थी और अनुशासन की पालना करता है तो विद्यार्थी के संस्कार की जड़ें मजबूत होती हैं और भविष्य में और पूरे जीवन व्यक्ति को एक आदर्श इंसान बनाए रखती हैं।
उपसंहार: इस प्रकार अनुशासन एक ऐसी क्रिया है जो अनुशासन में रहकर हर कार्य को करने के लिए हमें तैयार करती है। विद्यार्थियों के लिए और विद्यार्थी जीवन के लिए अनुशासन का होना बेहद जरूरी है। तभी वह एक अच्छे विद्यार्थी बन सकते हैं। इस प्रकार एक व्यक्ति को अपने जीवन में कभी अनुशासन को नहीं खोना चाहिए। अगर एक बार समय हाथ से निकल जाए तो वापस लौट कर नहीं आता है। इसी प्रकार विद्यार्थी जीवन भी आपका कभी वापस नहीं आएगा और इसी समय आप अनुशासन का अच्छी तरह से पालन करके अपने जीवन को उन्नत बना सकते हैं।
विद्यार्थी और अनुशासन महत्त्व पर निबंध (500 शब्दों में)-Vidyarthi Aur Anushasan Essay In Hindi
अनुशासन दो शब्दों से मिलकर बना है अनु और शासन।अनु का अर्थ होता है पीछे या अनुकरण करना तथा शासन का अर्थ व्यवस्था या नियंत्रण करना होता है। इस प्रकार स्वयं को नियमानुसार ढालना या व्यवस्था का पालन करना या फिर अपने आचरण पर नियंत्रण रखना अनुशासन कहलाता है। अनुशासन को बड़ा होकर सीखना बहुत कठिन हो जाता है। इसी लिए आवश्यक है कि बच्चों को शुरुआती शिक्षा के साथ ही अनुशासन का पाठ भी पढ़ाया जाए। इस देश के नवल उत्थान के लिए अनुशासन विद्यार्थियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
अनुशासन का महत्व
अनुशासन का मनुष्य के जीवन में विशेष महत्व होता है। अनुशासन की आवश्यकता केवल विद्यार्थी जीवन के लिए ही नहीं बल्कि प्रत्येक मनुष्य के लिए भी होती है। विद्यार्थी जीवन में यह अत्यंत महत्वपूर्ण है। क्योंकि विद्यार्थी अनुशासित होता है तभी वह जीवन में उन्नति कर सकता है।अपना शारीरिक और बौद्धिक विकास भी वह अनुशासन के माध्यम से ही कर सकता है। हालांकि वर्तमान समय में जो विद्यार्थियों व अन्य लोगों में अनुशासनहीनता बढ़ रही है वह सोचनीय है।अनुशासन के बिना किसी भी व्यक्ति का जीवन पशु के समान हो जाता है। विद्यार्थी जीवन यह अनुशासित व्यक्ति का जीवन कहा जाता है।
विद्यार्थी में अनुशासनहीनता के कारण
आज बढ़ती हुई अनुशासनहीनता के अनेक कारण हैं। हमारी दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली, शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के बीच मधुर संबंधों का अभाव, कर्मचारियों एवं अधिकारियों की स्वार्थी भावना, कर्तव्य निष्ठा का अभाव, राजनीति में भ्रष्टाचार व स्वार्थी प्रवृत्ति का बोलबाला आदि अनेक ऐसे कारण हैं जिनसे हमारे सारे समाज और राष्ट्र का वातावरण दूषित हो रहा है। इन सभी कारणों से हमारे छात्र तथा युवा अनुशासन रहित हो रहे हैं। वे स्वतंत्रता का गलत अर्थ मानकर अनुशासन का पालन नहीं कर रहे हैं।
अनुशासन में सुधार हेतु सुझाव
प्रत्येक नागरिक में कर्तव्य भागना का जागरण, अपनों से बड़ों के प्रति आदर भावना, अनुशासन के विकास हेतु यह महत्वपूर्ण सुझाव है। हमें महापुरुषों एवं अपने आदर्श व्यक्तित्व के चरित्र को आदर्श मानकर उनका अनुकरण करना चाहिए।समाज के परिवारजनों को भी अपने बच्चों को अनुशासन में रहने की शिक्षा देनी चाहिए। तभी यह समाज बदल पाएगा और अनुशासन हर एक विद्यार्थी के जीवन में रह पाएगा।
अनुशासन एक ऐसी प्रवृत्ति या संस्कार है जिसे अपनाकर प्रत्येक व्यक्ति अपना जीवन सफल बना सकता है। अनुशासित रहकर प्रत्येक छात्र या प्रत्येक कर्मचारी या प्रत्येक नागरिक अपनी तथा देश की उन्नति में सहायक सिद्ध हो सकता है। हम कह सकते हैं त्रुटिपूर्ण शिक्षा प्रणाली और पश्चिमी सभ्यता की चकाचौंध विद्यार्थियों में अनुशासनहीनता को जन्म देती है। ऐसे में विद्यार्थियों को सही मार्ग दिखाने का कार्य शिक्षक और परिवार जन ही कर सकते हैं।
विद्यार्थी और अनुशासन- (600 शब्दों में)
विद्यार्थी जीवन मनुष्य के जीवन का स्वर्णकाल होता है। इस समय शरीर में नई शक्ति का संचार होता है और मन में सुहाने सपने होते हैं। यह समय मन आशाओं के झूले जुड़ता है और संसार एक चिंताओं से मुक्त रहता है। जीवन का सर्वांगीण विकास करना ही विद्यार्थी जीवन का लक्ष्य होता है। विद्यार्थी जीवन में चरित्र निर्माण का विशेष महत्व होता है। अनुशासन, आज्ञा का पालन, संयम, नियमित्तता तथा आत्मनिर्भरता, कर्तव्यनिष्ठा, स्वच्छता, परिश्रम, सभ्यता आदि विद्यार्थी जीवन में भली-भांति सम्मिलित होने चाहिए। अनुशासन के लिए विद्यार्थी को इसलिए चुना गया है क्योंकि एक विद्यार्थी ही भविष्य का राष्ट्र का उत्थान कर सकता है।
अर्थ तथा अभिप्राय
विद्यार्थी का अर्थ होता है विद्या प्राप्त करने वाला विद्यार्थी। इसके अतिरिक्त अनुशासन शब्द से तात्पर्य होता है नियमों के अनुसार कार्य करना।विद्यार्थी जीवन में नियमों के अनुसार कार्य करना अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है। यही कारण है कि विद्यार्थी और अनुशासन एक दूसरे से संबंधित माने जाते हैं। अनुशासन का अर्थ तभी सिद्ध हो सकता है जब विद्यार्थी उसे अपने जीवन में उतारता है।इसीलिए इसके अर्थ को समझना ही काफी नहीं है बल्कि इसे अपने जीवन में उतारना भी एक विद्यार्थी का कर्तव्य है।
अनुशासन के प्रकार
अनुशासन की दो प्रकार का होता है। एक अनुशासन वह होता है जो किसी के ऊपर जबरदस्ती थोपा गया हो उसे बाहरी अनुशासन कहते हैं। इसके अतिरिक्त दूसरा अनुशासन वह होता है जो खुद की इच्छा से किया गया हो उसे आंतरिक अनुशासन कहा जाता है। आंतरिक अनुशासन मनुष्य मन से करता है। इस अनुशासन में कोई बोझ नहीं होता है और सभी नियमों का मन से पालन किया जाता है। इन दोनों अनुशासन के प्रकारों में आंतरिक अनुशासन सबसे अधिक प्रभावशाली और महत्वपूर्ण माना जाता है। जब आप अपने मन से अनुशासन की प्रक्रिया में ढलते हैं तो आपका जीवन उज्जवल और लक्ष्य प्रेरित बन जाता है।
विद्यार्थी और अनुशासन का संबंध
विद्यार्थियों में अनुशासन का होना अनिवार्य है। इसके अभाव में विद्यार्थी अपने लक्ष्य पथ से भटक सकते हैं। विद्यार्थी जीवन व्यक्ति के जीवन का वह उषाकाल होता है, जहां से ज्ञान की रश्मियां फुटकर संपूर्ण जीवन को अलौकिक बनाती हैं। जीवन के निर्माण काल में अगर अनुशासनहीनता हो तो भावी जीवन के रंगीन सपने पूरे नहीं हो सकते हैं। यदि विद्यार्थी अपने जीवन में लक्ष्य को प्राप्त करना चाहता है तो बेशक उसे अनुशासन का पालन करना आवश्यक है। अनुशासन के साथ वह स्थाई हो जाएगा और अपने जीवन के लक्ष्य के प्रति निश्चित रहेगा।
अनुशासनहीनता के बढ़ते कारण
आज विद्यार्थी जीवन की जो दशा है उसके लिए समाज का कलुषित वातावरण उत्तरदाई है। विद्यार्थी जन्म से ही अनुशासन हीन नहीं होते हैं। वे अपने परिवेश के अनुसार ही अपने स्वभाव को बदलते हैं। आज की शिक्षा प्रणाली जीवन मूल्यों की स्थापना के लिए प्रयास नहीं करती है।अध्यापकों की आचरण का भी विद्यार्थियों पर विशेष प्रभाव पड़ता है। वर्तमान समय में परिवार हो या विद्यालय अनुशासनहीनता बड़ों से ही छोटों के अंदर आती है। इस समाज में अनुशासनहीनता बड़ों से ही बच्चों के अंदर उपजी है। इसलिए इस अनुशासनहीनता का दोष सिर्फ विद्यार्थियों के सिर मड़ने से कुछ नहीं होगा।
वर्तमान समय में विद्यार्थियों की बढ़ती अनुशासनहीनता देश के भविष्य के लिए घातक सिद्ध हो सकती है। इससे सामाजिक शांति भंग हो सकती है और अपराध मुल्क घटनाओं में वृद्धि भी होगी। दिशाहीन युवा समाज अराजकता पर उतर आएगा। अतः विद्यार्थियों को अनुशासित करने के लिए गंभीर कदम उठाने होंगे। स्वयं विद्यार्थियों को अनुशासन की आवश्यकता समझते हुए सार्थक प्रयास करना जरूरी है। एक विद्यार्थी जब स्वयं अनुशासन का पालन करेगा तो उसका जीवन सफलता की ओर अग्रसर हो जाएगा। इसीलिए एक समझदार व्यक्ति अपने विद्यार्थी को और अपने छोटों को अनुशासन का पालन करना सिखाता है। साथ ही स्वयं भी अनुशासन की नीतियों पर चलता है।
विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध 800 से 1000 शब्दों में -Vidyarthi Aur Anushasan Essay In Hindi
जीवन के सभी क्षेत्रों में अनुशासन की ज़रूरत है। चाहे वह स्कूल हो , दफ्तर या युद्धभूमि अनुशासन के बैगर कहीं भी काम नहीं चल सकता है । अनुशासन के कारण ही नेपोलियन विश्व की बड़ी शक्तियों को हारने में कामयाब हुआ था। यदि स्कूल , समाज , परिवार सभी स्थानों में लोग अनुशासन का पालन करेंगे तब अपने कर्त्तव्य को अच्छी तरह से समझ पाएंगे। तब कार्य में कोई गड़बड़ी नहीं होगी। नियम तोड़ने से ही अनुशासनहीनता बढ़ती है तथा स्कूल , समाज में अव्यस्था उत्पन्न हो जाती है।
विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का बड़ा महत्व है। इससे विद्यार्थी ना केवल एक सफल विद्यार्थी बनते है बल्कि आगे चलकर एक जिम्मेदार नागरिक के तौर पर अपना कार्य करते है। जितनी शिक्षा विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है , उतना ही अनुशासन ज़रूरी होता है। बच्चे को अनुशासन की आरंभिक शिक्षा घर से प्राप्त होती है। अभिभावकों को बच्चो को शुरुआत से अनुशासन का महत्व समझाना चाहिए। जैसे बच्चा जब पेंसिल पकड़ना सीखता है , उस वक़्त हम अक्षरों को सही ढंग से लिखना सिखाते है , वरना वह गलत मार्ग पर जा सकता है। ठीक वैसे ही , अनुशासन से विद्यार्थी अपने जीवन के लक्ष्य तक पहुँच सकता है। हर चीज़ समय पर करना और सही तरीके से करना , अनुशासन कहलाता है। सही तरीको को अपनाने के लिए सही नियमो का अनुकरण करना अनिवार्य है।
विद्यालय में अनुशासनहीनता की वजह से जो दशा बनी है , वह सभी के सामने है। आज देश में चारो ओर स्वार्थ , हिंसा की भावना फैली हुयी है। यह अनुशासन की कमी के कारण है। शिक्षा के स्तर को ऊंचाई पर ले जाना होगा और जिन्दगी को अनुशासित करना होगा तभी विद्यार्थी एक उन्नत देश का निर्माण कर पायेगा ।
विद्यालय में जाकर विद्यार्थी सही माईनो में अनुशासन का पाठ पढ़ता है। अच्छी और सही शिक्षा विद्यार्थी को अनुशासन का पालन करना सिखाती है। अनुशासन का पालन करना विद्यार्थियों का परम कर्त्तव्य है। यह ना केवल उन्हें सफल इंसान बल्कि उसे एक बेहतर और अच्छा इंसान बनाता है। विद्यालय में जाकर अनुशासन की भावना का विकास होता है। अनुशासन की भावना प्रत्येक मनुष्य के मन में होनी चाहिए।
आजकल की इस व्यस्त जीवन में अभिभावक अपने बच्चो को घर पर समय नहीं दे पाते है। ऐसे में बच्चे चिड़चिड़े हो जाते है और टीवी , मोबाइल इत्यादि पर निर्भर हो जाते है। मोबाइल और इंटरनेट के अत्यधिक प्रभाव ने अनुशासनहीनता को बढ़ावा दिया है। बच्चो को लगता है की वह अब बड़े हो गए है और अनुशासन में रहने की उन्हें ज़रूरत नहीं है। यह सोच विद्यार्थियों के लिए घातक हो सकती है और वे बुरे संगत में पड़ जाते है।
अनुशासन के बिना वह सही और गलत में फर्क नहीं कर पाते है। बिना सोचे समझे किसी भी चीज़ का अपनी इच्छा अनुसार विरोध करने लगते है। अच्छे और जिम्मेदार शिक्षक विद्यार्थियों को अनुशासन में रहना सिखाते है। समय से विद्यालय पहुंचना और और छोटे बड़े नियमो का पालन करना सिखाते है। अनुशासन के बिना मनुष्य जैसे इंजन के बैगर गाड़ी और ब्रेक के बिना इंजन। शिक्षक विद्यार्थियों को नियमो में रहना सिखाते है और वक़्त पर कक्षा कार्य करना सीखते है। समय का सदुपयोग करना और अनुशासन का पालन करना यह शिक्षक द्वारा सिखाया जाता है।
शिक्षक विद्यार्थियों को एकाग्र होकर पढ़ना सीखाते है। बड़ो का सम्मान करना और हर कार्य समय पर शुरू और निर्दिष्ट समय पर समाप्त करना इत्यादि अनुशासन संबंधित चीज़ें शिक्षक विद्यार्थियों को सीखाते है। विद्यार्थियों को अपने सहपाठियों के संग अच्छा व्यवहार करना चाहिए। समय पर रोज़ाना कक्षा में हाज़िर होना चाहिए और उनसे बड़े जो उन्हें कार्य करने के लिए कहते है , उसे स्वीकार करे और उनके आदेशों का पालन करे। शिक्षकों का सम्मान उन्हें एक आदर्श विद्यार्थी बनाता है।
अनुशासन का पालन करने से विद्यार्थी धैर्यशील और संयमी बनते है। विद्यार्थी अगर समय पर अपना काम रोज़ करते है , तो उनमे धैर्य जैसे गुण उतपन्न होते है। अगर वह रोज़ाना अपना कार्य सही तरीके से ना करे , तो वह अपना कार्य हड़बड़ी में पूरा करेंगे। इससे उनमे संयम जैसे गुण उत्पन्न नहीं होंगे। अनुशासनहीनता उनके जीवन में बढ़ जायेगी।
आदर्श विद्यार्थी अनुशासन का महत्व समझता है और अपने बड़ो की बातो को कभी नज़र अंदाज़ नहीं करता है। अनुशासनहीन विद्यार्थी अक्सर गलत और बुरी आदतों के शिकार बन जाते है। आम तौर पर ऐसे विद्यार्थी छूपकर यह सारी चीज़ें करते है और माता पिता को इसकी भनक नहीं पड़ती है।
ऐसे में वह बुरी संगत में पड़कर और अधिक बिगड़ जाते है। अनुशासन का पालन करने वाले व्यक्ति का मन पढ़ने और अच्छे कार्यो की तरफ लगता है। अनुशासन का पालन ना करने से विद्यार्थी का भविष्य अंधकारमय हो जाता है। सिर्फ विद्यार्थियों का साफ़ सुथरा कपड़ा पहनना ही सबकुछ नहीं होता बल्कि इस जीवन में अनुशासन के हर पहलुओं को समझना ज़रूरी होता है।
विद्यार्थी कई बार बड़े बड़े लक्ष्यों को पाने के सपने देखता है , मगर अनुशासन का पालन नहीं कर पाता है। जिसके कारण उन्हें असफलता का सामना करना पड़ता है। अनुशासन का अभाव छात्रों की पढ़ाई पर बुरी तरीके से पड़ता है। विद्यार्थी कुसंगति में पढ़कर चोरी और गैर कानूनी कार्यो में पड़ जाता है। अनुशासन रहित जीवन के कारण वह किसी की बात नहीं सुनते है।
ऐसे अनुशासन हीन विद्यार्थी को किसी भी बात पर क्रोध आ जाता है। कभी कभी वे हिंसक प्रवृति के हो जाते है। ऐसे में अभिभावकों को अपने बच्चो के साथ समय बिताना चाहिए। उन्हें अनुशासित जीवन जीने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
विद्यार्थियों को अनुशासन सिखाने से पूर्व , अभिभावकों को भी अनुशासन में अपनी सारी चीज़ें करनी चाहिए। बच्चे जो देखते है , वहीं सीखते है। विद्यार्थी को हर कार्य और गतिविधियां समय पर करना सीखाना होगा जैसे स्कूल , खेलकूद इत्यादि | सभी प्रकार के गतिविधियों में भाग लेने से उनका व्यक्तिगत विकास होता है। अभिभावकों को अपने बच्चो को जीवन के हर मोड़ पर समझना होगा सिर्फ अच्छे स्कूल में दाखिला करवाना ही सब कुछ नहीं है। अभिभावकों को अपने बच्चो को एक निर्धारित समय के लिए टीवी और मोबाइल का उपयोग करने देना चाहिए। अभिभावकों को अपना कीमती खाली समय बच्चो को देना होगा। यह ध्यान अभिभावकों को रखना चाहिए।
अनुशासन प्रिय विद्यार्थी बहुत परिश्रमी होते है। वह किसी भी काम को टालते नहीं है। वह आज का कार्य आज ही करते है। ऐसे विद्यार्थी दूसरो की तुलना में अपना अलग मुकाम बनाते है। जीवन के हर मुकाम पर अनुशासन की ज़रूरत होती है। कम उम्र से विद्यार्थी को इसका प्रशिक्षण देना ज़रूरी है , तभी उनकी आने वाली ज़िन्दगी सफल और सार्थक होगी। विद्यार्थी आने वाले समय के युवा वर्ग होंगे , जिनके कंधो पर देश के प्रगति की जिम्मेदारी होगी। इसके लिए अनुशासन का माहौल उन्हें जिम्मेदार और सफल नागरिक बनाएगा।
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2 thoughts on “विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध | Essay on Student and Discipline in Hindi”
इस निबंध को पढ़ने के बाद मुझमें बहुत बदलाव आए हैं। मै कभी अनुशासन में नहीं रहता था लेकिन इस निबंध को पढ़ने के बाद मैंने अनुशासन अपनाना शुरू कर दिया
Oh..me bhi ab anushasan ka paalan karungi..kyunki mujhe yeh pta chl gya ki Vidyarthi jeevan me anushasan ka hona bahut mahtvapooran hota hai..Yeh humain ek acha vyakti bna deta hai..Ab mujhe bhi anushasan me rh kr apna hr karya sampooran krna hai… Dhanyawad aapka bahut bahut shukriya mujhe yeh nibandh dene ke liye..kyunki maine is nibandh ko bahut jaghon pr dhoonda ki mujhe saral shabdon me mile pr nhi mil rha tha yaha pr mil gya…. Dhanyawad 😀😁😁
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जीवन में अनुशासन का महत्व.
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सही कहा आपने, अनुशासन से ही जीवन के हर क्षेत्र में शासन कायम हो सकता है।
Bahut Hi badiya Sir , Aanusasan Ka Mahatav Bahut jaada Hai hamari Jindgi me
Absolutely Write..... Discipline Jaroori Hai
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